गैसटाइटिस पेट की परत में सूजन, उत्तेजन या क्षय होने को कहा जाता है। यह एकाएक या धीमे से हो सकता है। यह 2 प्रकार का होता है। तीव्र और दीर्घ । तीव्र गैसटाइटिस एकाएक होता है और गंभीर सूजन उतपन्न करता है। यह 2-3 दिनों तक रहता है। दीर्घ गैसट्राइटिस लंबे समय तक बने रहने वाले सूजन उतपन्न करता है। यह सात दिनों से अधिक सूजन लेकर चिकित्सक को न दिखाने की दशा में वर्षों तक रहता है।
कारण:गैसट्राइटिस का सबसे बड़ा कारण हमारी जीवन शैली है। आजकल के दौर-भाग वाले जीवन में हमारा झुकाव फास्ट फूड की तरफ अधिक होता है जिससे हमारे आंत पर गहरा असर पड़ता है। यह अधिक शराब के सेवन, धूम्रपान की लत के कारण भी होता है। अधिक देर तक भूखे पेट रहना, तनाव में रहना भी गैस्ट्राइटिस के एहम कारण है।
लक्षण-गैसट्राइटिस में पेट दर्द होना, बार-बार उल्टी और दस्त होना। खून की उल्टी या साफ़ पानी जैसा भी उल्टी हो सकता है। पेट के ऊपरी भाग में जलन महसूस होना। पेट भारी -भारी और फुला हुआ लगना।
बचाव:रेशेदार भोजन करें, खासकर फल और हरी सब्जियां खाएं। मसाले दार खाने के सेवन से बचे। धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन बंद करें। खान-पान और जीवन शैली में बदलाव लाए। चिंता से बचें।
होमयोपैथिक दवांईया-होमियोपैथिक दवांईया इस समस्या में बहुत कारगर साबित हुई है। यह दवांईया आंत की सूजन को ठीक कर सभी परेशानियों से बचने में सहायक है। यह पेट में गैस बनने को रोकती है तथा सारे लक्षणों को समाप्त कर रोग से निरोग करती हैं। कुछ उपयोगी दवांईयां मे आर्सेनिक अल्बम, वराटरम अल्बम, कैम्फोरा, क्यूपरम मैटालिकम , RL36, आदि दवांईया दी जाती है।