किडनी स्टोन हमारे रोजमर्रा की भागदौड़ और अव्यस्थित लाइफस्टाइल के चलते बहुत से लोगों को अपने चपेट में ले रहा है। पथरी होने से ऐसे तो कोई परेशानी नहीं होती पर जब इसका दर्द उठता है तो वह बहुत असहनीय होता है।नमक और शरीर के दुसरे खनिज जब एक दुसरे के संपर्क में आते हैं तो पथरी बनने लगती है। इसका कोई निर्धारित आकार नहीं होता।कई बार तो यह बहुत छोटी होती है कि यूरिन के साथ खुद ही निकल जाती है और कई बार इसकी साइज़ बहुत बड़ी होती है कि वह परेशानी का सबब बन जाती है। गुर्दे की पथरी होने से पहले हमारा शरीर हमें कई तरह के संकेत देता है अगर समय रहते ही गुर्दे की पथरी के लक्ष्ण को समझ लिया जाए और सही इलाज करवा लिया जाए तो ज्यादा परेशानी से बचा जा सकता है ।हमारा किडनी रक्त को फिल्टर करता है इस प्रक्रिया में अधिक मात्रा में बने एसिड और मिनिरल्स को भी वह फिल्टर करती रहती है। लेकिन अनेक कारणों से कभी-कभी ये मिनिरल्स एक समूह सा बनकर कुछ माह में ठोस स्वरुप ले लेते है।ये किडनी में कुछ खास तरह के साल्टस स्टोन बना लेते है। स्टोन बनना यूं तो सामान्य है लेकिन ये अगर किडनी में बने रहे या किडनी से यूरेटर के बीच अटक जाए तो दर्द का कारण बनते हैं।। किडनी स्टोन के मरीजों को इसका पता तब चलता है जब उन्हे दर्द होता है।यह दर्द स्टोन के किडनी से यूरेटर में खिसकने से होता है। दर्द तब तक होता रहता है जबतक कि स्टोन यूरिनरी ब्लैडर में न गिर जाए।दर्द पीठ के निचले हिस्से में रीढ़ की हड्डी के किसी एक तरफ से शुरू होता है और फिर पेट तक आ जाता है। जैसे-जैसे स्टोन नीचे खिसकता है वैसे वैसे दर्द भी नीचे आते हुए जांघ के अंदरूनी हिस्से तक होने लगता है। स्टोन अटक जाने पर दर्द बना रहता है जो कि कम ज्यादा होता रहता है। यूरिनरी ब्लैडर तक पहुंचने की यह प्रक्रिया कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक हो सकती है।यह दर्द रीनल कालिक कहलाता है। ब्लैडर में पहुंचने के बाद स्टोन प्राय: यूरिन के जरिए बाहर हो जाते हैं।
कारण: किडनी स्टोन बनने के कई कारण होते हैं जैसे जेनेटिक कारण,शरीर में पानी की कमी होना, अधिक मात्रा में प्रोटीन,नमक या ग्लूकोज युक्त डाइट खाना,वजन का अधिक होना, थायराइड होना, खराब जीवनशैली रखना,देर तक धूप में रहने पर शरीर में पानी की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, अधिक चाय-काफी पीना, ज्यादा तला भुना, गरिष्ठ भोजन खाना, मल-मूत्र आदि वेग को जबरन रोकना,युरिनरी ब्लैडर की बनावट में कोई गड़बड़ी होना, लगातार कब्ज रहना, किडनी में इंफेक्शन होना।
लक्ष्ण: मूत्र मार्ग के आसपास तेज असहनीय दर्द होना, बार-बार यूरिन आना या इसकी इच्छा महसूस होना, यूरिन के साथ रक्त आना, यूरिन करते समय या करने के पहले तेज दर्द और जलन होना,कमर में असहनीय दर्द होना,पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना, पेशाब का रंग बदल जाना,जी मिचलाना, उल्टी आना, चक्कर लगना, आदि।
बचाव: शरीर में पानी की कमी न होने दें, रोजाना अधिक मात्रा में पानी पिएं, अपने वजन को नियंत्रित रखें, तला भुना खाना कम खाएं। ध्यान रखें कि पेट में गैस की समस्या न हो, कब्ज होने से बचें, तनाव कम लें।
होम्योपैथिक उपचार: होम्योपैथी के जरिए किडनी की पथरी से बिना आपरेशन निजात पाना संभव है। होम्योपैथी दवा के जरिए पथरी को तोड़ा जाता है जिससे इसकी साइज़ बहुत छोटी हो जाती है तो कुछ बिल्कुल चूर बन जाती है जिससे यह पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।कई बार आपरेशन के बाद भी दोबारा पथरी बन जाती है लेकिन होम्योपैथी दवा के माध्यम से इसे रोका जा सकता है। इसके लिए नक्सवोम,कैंथेरिस,बरबेरिस बुलगेरिस,लाइकोपोडियम,RL 24, जैसी दवाइयां लक्ष्ण के आधार पर दी जाती है।