स्लिप डिस्क
आजकल के रोजमर्रा के भाग्दौर भरी ज़िन्दगी में शरीर न जाने कितनी बिमारियों के चपेट में आ रहा है |आजकल के कंप्यूटर ,लैपटॉप में काम करने के बढ़ते चलन के कारण काफी देर तक एक पोस्चर में बैठने के कारण हमारी रीढ़ की हड्डी सबसे अधिक प्रभावित होती है जिसे स्लिप डिस्क के नाम से जाना जाता है |आजकल १० में से ७ वयक्ति कमर दर्द की समस्या से पिरित है |कमर दर्द की यह समस्या धीरे धीरे बढ़कर स्लिप डिस्क में बदल जाती है |
हमारे स्पाइनल कार्ड की हड्डियों के बीच कुशन जैसी एक मुलायम चीज़ होती है जिसे डिस्क कहते है.ये डिस्क एक -दुसरे से जूरी होती है और वेर्तेब्रा के बिलकुल बीच में स्तिथ होती है|गलत तरीके से काम करने ,पढने ,उठने -बैठने या झुकने पर लगातार जोर पड़ता है इससे स्पाइन के नर्व पर दबाव आ जाता है जो कमर में लगातर होने वाले दर्द का कारण बनता है |
कारण:
कमर में अचानक से चोट या झटका लगना,स्लिप डिस्क पर किसी चीज़ से धक्का लगना ,बढती उम्र के कारण हड्डियों का कमजोर होना ,बहुत देर लगता बैठकर काम करना ,आदि |
लक्षण
दर्द के साथ जलन और झनझनाहट होना,चलने में दर्द होना,अधिक चल न पाना ,मांसपेसियों की कमजोरी,एक ही मुद्रा में बैठना या उठने में दर्द का अनुभव होना ,पैर में सुन्नपन महसूस होना |
बचाव : भरी सामान उठाने से बचे ,पीठ को सीधा कर सोएं ,नियमित रूप से वयायाम करें ,अपने वजन को नियंत्रित रखे |
होम्योपैथिक ट्रीटमेंट :एस्कुलुस ,ब्र्योनिया ,सिमिसिफुगा ,कलि कार्ब ,रस्टोक्स
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