अस्थमा
अस्थमा ऐसी स्थिति है जिसमें श्वासनलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने,नलियों के सख्तहो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है।इसे अस्थमाकहते है। अस्थमा सेग्रसित बच्चें के लिए सांस लेना कठिन हो जाता है, क्योंकि बच्चोंकी श्वासनली संवेदनशील होती है। यह लम्बे समय तक बने रहने वाली स्थितिहै जिससे अक्सर बच्चे प्रभावित होते है। लेकिनसमय से पहले अगर इलाज हो और सावधानियां बरती जाए तो युवा अवस्था तक पुरी तरह ठीक होसकते हैं।
कारण: अस्थमा के कई कारण हो सकते है जैसे प्रदूषण व ठंड, शरीरमें आक्सीजनकी कमी से सांस लेने में तकलीफ होना,भारी समान उठाने से, सीढ़ियां चढ़ने से सांस लेने में समस्या होना। इसके अलावा फ्लूसे संक्रमण, खाद्य पदार्थ जैसे अंडा,गाय का दूध, मछली, गेहूं, आदि से दमा होना। पारिवारिक इतिहास,घर मे धुम्रपान करना, जन्म के समय बच्चेका वजन कम होना।
लक्ष्ण: लगातारबलगम या बिना बलगम के सूखी खांसी होना। सीने में जकड़न महसूस होना, सांस फूलना या सांस लेने में कठिनाई होना,छाती में दबाव,वहीजिंग, सांसछोड़ते समय सीटी जैसी आवाज आना और बच्चों में ऊर्जा की कमी होना।
बचाव: अस्थमा में उपचार से अधिक देख-भाल की जरूरत है। बच्चे कोस्तनपान कराएं तथा गर्भावस्थाके दौरान धूम्रपान न करें, सही व पौष्टिक आहार लें।ग्राम पानी का सेवन करें। एलर्जी से बचें। नियमित व्यायाम करें,साबुत अनाज,सूप,फल और सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें। मेवे,अंडे, शक्कर, वसायुक्त आहार,ठंडे भोजन, आदि से परहेज़ करें।
होम्योपैथिक उपचार:होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में इस रोग का पूर्ण इलाज मुमकिन है। इससे बचाव के लिए होम्योपैथी में लक्ष्णों के आधार पर रोगी को रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाली दवाईयां दी जाती है, जिससे वह ठीक हो पाते है। जैसे:-आर्सेनिक अल्बम,इपिकैक,हिपर सल्फ,अरेलिया रेसिमोसा,RL-19,R-39।